Friday, 28 March 2025

कबीर, वेद हमारा भेद है

कबीरवेद हमारा भेद हैहम नहीं वेदों माहिं।
जौन वेद में हम रहैंवो वेद जानते नाहीं।

घर घर होय पुरुषकी सेवा। पुरुष निरंजन कहे न भेवा।।
ताकी भगति करे संसारा। नर नारी मिल करें पुकारा।।

सनकादिक नारद मुख गावें। ब्रह्मा विष्णु महेश्वर ध्यावें।
मुनी व्यास पारासर ज्ञानी। प्रहलाद और बिभीषण ध्यानी।।

द्वादस भगत भगती सो रांचे। दे तारी नर नारी नाचे।।
जुग जुग भगतभये बहुतेरे। सबे परे काल के घेरे।।

काहू भगत न रामहिं पाया। भगती करत सर्व जन्म गंवाया।।

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