Friday, 28 March 2025

सार शब्द मथि लीजे

शब्द हमारा आदि कासुनि मत जाहु सरख।
जो चाहो निज तत्व कोशब्दे लेहु परख।।9।।
शब्द विना सुरति आँधरीकहो कहाँको जाय।
द्वार न पावे शब्द काफिर फिर भटका खाय।।10।।
शब्द शब्द बहुअन्तरासार शब्द मथि लीजे।
कहँ कबीर जहँ सार शब्द नहींधिग जीवन सो जीजे।।11।।

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