Thursday 4 February 2021

ज्ञान रूप पुरुष कर जानौ

*ज्ञान स्वरुप पुरुष कर आही।*
*ज्ञानहि रूप कबीर लखाही।।*
*ज्ञान प्रकाश दीप सम जानौ।*
*बिना ज्ञान बस झूठ बखानौ।।*
*बिना ज्ञान घट में अंधियारा।*
*ज्ञान बिना नहिं होय उबारा।।*
*ज्ञान बिना अक्षर नहिं पाई।*
*ज्ञान रूप अक्षर हैं भाई।।*
*ज्ञान रूप पुरुष कर जानौ।*
*एही वचन सत्य कर मानौ।।*
*ज्ञान रुप नि:अक्षर कहिये।*
*अक्षर भेद ज्ञान सो लहिये।।*
*नि:अक्षर हो ज्ञानहि जानौ।*
*अक्षर नि:अक्षर पहिचानौ।।*
*ज्ञान शब्द पुरुष कर अंशा।*
*ज्ञान जान जन सोह मम वंशा।।*
*बिना ज्ञान नहिं वंश कहावै।*
*ज्ञान होय तब शब्दहि पावै।।*
*सोई वंश सत शब्द समाना।*
*शब्दहि हेत कथै निज ज्ञाना।।*

राम नाम की गति नही जानी कैसे उतरसि पारा

राम नाम की गति नही जानी कैसे उतरसि पारा ॥१॥
Rām nām kī gaṯ nahī jānī kaise uṯras pārā. ||1||
You do not know the exalted state of the Lord's Name; how will you ever cross over? ||1||

जीअ बधहु सु धरमु करि थापहु अधरमु कहहु कत भाई ॥
Jī▫a baḏẖahu so ḏẖaram kar thāpahu aḏẖram kahhu kaṯ bẖā▫ī.
You kill living beings, and call it a righteous action. Tell me, brother, what would you call an unrighteous action?

आपस कउ मुनिवर करि थापहु का कउ कहहु कसाई ॥२॥
Āpas ka▫o munivar kar thāpahu kā ka▫o kahhu kasā▫ī. ||2||
You call yourself the most excellent sage; then who would you call a butcher? ||2||

मन के अंधे आपि न बूझहु काहि बुझावहु भाई ॥
Man ke anḏẖe āp na būjẖhu kāhi bujẖāvahu bẖā▫ī.
You are blind in your mind, and do not understand your own self; how can you make others understand, O brother?

संसार पूंछ पकङे भेड़ की

कबीर इस संसार को,
समझांऊ कै  बार ।
पूंछ जो पकङे भेड़ की,
उतरया चाहे पार ॥

अनहद भी मर जाऐ

जाप मरे अजपा मरे,
अनहद भी मर जाऐ।
सुरती समानी शब्द मे,
वाको काल न खाऐ।।

झूठे गुरू को झटक दे

झूठे गुरू को झटक दे,
शिष्य शाखा को फूक।
वा मे दोष ज़रा नहीं,
शब्द कहा हम कूक।।

हद अन्हद से परे कबीर

हद हद टपे सो औलिया,
और बेहद टपे सो पीर।
हद अन्हद दोनो टपे,
ताको नाम कबीर।।

Ghat ghat bole Kabir

Garib, Saheb Purush Kabir ne
Deh dhari nhi koe
Shabd swaroopi roop hai
Ghat ghat bole soye

Shabd shabd bahu antre

Shabd shabd bahu antre
Saar shabd math leeje
Kahae kabir jahan saar shabd naahi
Drigh jeevan so jeejay

Guru sabhi badhe hain

Guru mere sabhi badhe
Apni apni thor
Shabd viveki paarkhi
So maathe ka mor

चार दाग आवे नहीं, वाको सतगुरू जान

कबीर, देही को सतगुरू कहे,
ये है धुंधर ग्यान।
चार दाग आवे नहीं,
वाको सतगुरू जान।।