Monday 18 November 2019

ऐके से सब होत है, सब से ऐक न होऐ।

कबीर, जो वो ऐकै जाणिया,
तो जाणिया सब जाण।
जे वो ऐक न जाणिया,
तो सब ही जाण अजाण।।

कबीर, ऐक न जाणिया,
तौ बहू जाणै क्या होऐ।
ऐके से सब होत है,
सब से ऐक न होऐ।।

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