Thursday, 18 December 2025

सुरत निरत मन पवन कूँ, करो एकत्तर यार

सुरत निरत मन पवन कूँ, करो एकत्तर यार।
द्वादस उलट समोय ले, दिल अंदर दीदार॥


तन थिर, मन थिर, बचन थिर, 
सुरति, निरति थिर होय। 
कहैं कबीर उस पलक को, 
कल्प न पावै कोय॥


Surat nirat mann pavan payana, 
Shabdae shabd samaayi | 
Garib Das galtaan mahal mein, 
Miley Kabir gosaayin ||.


SatyaNaam Sumiran Bhed Prasang

 










Tuesday, 16 December 2025

Trikuti mahe jap Ram

Sthaan aur wahan pe Shabad

Sohang - Bhanwar Gufa
Rarankaar - Daswa Dwar
Onkaar - Trikuti
Nayan mahe Niranjan

मन ही मन मे जाप कर

श्वासा सोहं ऊपजे

जो चाहे दीदारको, तो परख शब्दका रुप

कबीर, शब्द हमार हम शब्द के, शब्द ब्रह्मका कूप।
जो चाहे दीदारको, तो परख शब्दका रुप ।।

कबीर, शब्द हमार हम शब्द के, शब्दहिं लेहुं परख।
जो तूं चाहे मुक्ति को, अब मत जाहु सरक ।।