कबीर, निरगुण सरगुण दवन्द पसारा ।
दोनो पड़ गऐ काल की धारा ।।
दादू, कोई निरगुण मे रीझ रहा,
कोई सरगुण ठहराऐ ।
दादू चाल कबीर की,
मोसे कही न जाऐ ।।
Wednesday, 21 September 2022
देही ज्ञान सब जगत बखाने
कबीर, देही ज्ञान सब जगत बखाने,
विदेही ज्ञान कोई बिरला जाने ।
ध्यान विदेह और नाम विदेहा,
दोऊ लख पावै मिटे संदेहा ।।
विदेही ज्ञान कोई बिरला जाने ।
ध्यान विदेह और नाम विदेहा,
दोऊ लख पावै मिटे संदेहा ।।
देखा देखी गुरमुख हो गऐ
कबीर, देखा देखी गुरमुख हो गऐ,
किया न तत्व विचारा ।
गुरू शिष्य दोनो के सिर पे,
काल ठोके पंजारा ।।
किया न तत्व विचारा ।
गुरू शिष्य दोनो के सिर पे,
काल ठोके पंजारा ।।
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