सब भरमंड में ज्योत का वासा, राम को सुमिरो दूजा नहीं
तीन गुण पर तेज हमारा, पांच तत्व पर ज्योत जले
जिनका उजाला चौदह लोक में, सुरत डोर आकाश चढ़े
नाभी कमल से परख लेना, ह्रदय कमल बीच फिरे मणि
अनहद बाजा बाजे शहर में, ब्रह्मंड पर आवाज़ हुई
हीरा जो मोती लाल जवाहरत, प्रेम पदारथ परखो यहीं
सांचा मोती सुमर लेना, राम धणी से म्हारी डोर लगी
गुरु जन होय तो हेरी लो घट में, बाहर शहर में भटको मती
गुरु परताप नानक साह के वरणे, भीतर बोले कोई दूजो नहीं
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