Friday, 28 March 2025

नानक, सोहं हंसा जपु जापहु त्रिभवण तिसै समाहि

हउमै करी ता तू नाही तू होवहि हउ नाहि।।
बूझहु गिआनी बूझणा एह अकथ कथा मन माहि।।
बिनु गुर ततू न पाईऐ अलखु वसै सभ माहि।।
सतिगुरु मिलै त जाणीऐ जां सबदु वसै मन माहि।।
आपु गइआ भ्रमु भउ गइआ जनम मरन दुख जाहि।।
गुरमति अलखु लखाईऐ ऊतम मति तराहि।।
नानक सोहं हंसा जपु जापहु त्रिभवण तिसै समाहि।।

गुरु ग्रन्थ साहिब के पृष्ठ नं. 1092.1093 पर राग मारू महला 1 - पौड़ी नं. 1

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