बिन संजम बैराग न पाया। भरमतू फिरिआ जन्म गवाया।।
क्या होया जो औध बधाई। क्या होया जु बिभूति चढ़ाई।।
क्या होया जु सिंगी बजाई। क्या होया जु नाद बजाई।।
क्या होया जु कनूआ फूटा। क्या होया जु ग्रहिते छूटा।।
क्या होया जु उश्न शीत सहै। क्या होया जु बन खंड रहै।।
क्या होया जो मोनी होता। क्या होया जो बक बक करता।।
सोहं जाप जपै दिन राता। मन ते त्यागै दुबिधा भ्रांता।।
आवत सोधै जावत बिचारै। नौंदर मूँदै तषते मारै।।
दे प्रदक्खणाँ दस्वें चढ़ै। उस नगरी सभ सौझी पड़ै।।
त्रौगुण त्याग चैथै अनुरागी। नानक कहै सोई बैरागी।।
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