Friday, 10 January 2025

तन थिर मन थिर बचन थिर सुरति निरति थिर होय

कबीर, तन थिर मन थिर बचन थिर
सुरति निरति थिर होय।
कहैं कबीर उस पलक को
कल्प न पावै कोय॥

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