Kabir Sahib
Wednesday, 8 May 2024
निर्गुण सद्गुण द्वंद पसारा
कबीर, निर्गुण सद्गुण द्वंद पसारा,
दोनो पड़ गऐ काल की धारा।
निर्गुण सद्गुण दोनो से न्यारा,
जानेगा कोई जाननहारा।।
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