गरीब, इस मौले के मुल्क में, दोनौं दीन हमार।
एक बामे एक दाहिनै, बीच बसै करतार।।
गरीब, करता आप कबीर है, अविनाशी बड़ अल्लाह।
राम रहीम करीम है, कीजो सुरति निगाह।।
गरीब, नर रूप साहिब धनी, बसै सकल कै मांहि।
अनंत कोटि ब्रह्मंड में, देखौ सबहीं ठांहि।।
गरीब, घट मठ महतत्त्व में बसै, अचरा चर ल्यौलीन।
च्यारि खानि में खेलता, औह अलह बेदीन।।
गरीब, कौन गाडै कौन फूकिये, चारों दाग दगंत।
औह इन में आया नहीं, पूरण ब्रह्म बसंत।।
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