Kabir Sahib
Wednesday, 3 November 2021
आठ पहर चौंसठ घड़ी नैना माहिं तू बसे
कबीर, आठ पहर चौंसठ घड़ी,
मेरे और न कोय।
नैना माहिं तू बसे,
नींद को ठौर न होय।।
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