ओअं आदि रूपे ॥ अनादि सरूपै ॥
अनंगी अनामे ॥ त्रिभंगी त्रिकामे ॥१२८॥
अनंगी अनामे ॥ त्रिभंगी त्रिकामे ॥१२८॥
ओअंकार आदि ॥ कथनी अनादि ॥
खल खंड खिआल ॥ गुर बर अकाल ॥१६७॥
खल खंड खिआल ॥ गुर बर अकाल ॥१६७॥
नमसतं न्रितापे ॥ नमसतं अथापे ॥
नमसतं त्रिमाने ॥ नमसतं निधाने ॥१३॥
नमसतं अगाहे ॥ नमसतं अबाहे ॥
नमसतं त्रिबरगे ॥ नमसतं असरगे ॥१४॥
त्रिमान हैं ॥ निधान हैं ॥
त्रिबरग है ॥ असरग हैं ॥३२॥
त्रिबरगं त्रिबाधे ॥ अगंजे अगाधे ॥
सुभं सरब भागे ॥ सु सरबा अनुरागे ॥१२९॥
त्रिभुगत सरूप हैं ॥ अछि्ज हैं अछूत हैं ॥
कि नरकं प्रणास हैं ॥ प्रिथीउल प्रवास हैं ॥१३०
No comments:
Post a Comment