Tuesday, 8 July 2025

संत रविदास गायत्री

संत रविदास गायत्री !!
ओहंग गायत्री सुमरत सार सुमिरत हंसा उतरे पार
सत्य सरोवर करो स्नाना वे नर पावे पद निर्वाणा
मन वस्त्र का मेला चोला अमी सरोवर दिया झकोला
सत की कमली तनपर लीजो अलख देव ध्यान मन की जो
ओहंग सोहंग की माला अपनी दिवस रैन सांसों में जपनी
सतगुरु साहिब हुए सहाई काल कष्ट की पीड मिटाई
सोहंग शब्द अमर पद पायो दुविधा दुरमति दूर भगायो
यम की चौकी तोड़ बगाई अमर लोक की सैर कराई
शिक्षा मंत्र गायत्री हरिनाम निश्चय आसन कर विश्राम
ओहंग गायत्री पढे प्रभाता फिर नहीं नर चौरासी में आता
सोहंग गायत्री पढे मध्याना सो नर पावे पद निर्वाना
गायत्री सुमरत सांझ सवेरा सतगुरु मेटो भम्र अन्धेरा
सोहंग गायत्री मेरे मन मानी दास रविदास कहें ब्रह्मज्ञानी !!

No comments:

Post a Comment