Monday, 7 July 2025

संत रविदास गायत्री

संत रविदास गायत्री

ओहंग गायत्री सुमरत सार सुमिरत हंसा उतरे पार

सत्य सरोवर करो स्नाना वे नर पावे पद निर्वाणा

मन वस्त्र का मेला चोला अमी सरोवर दिया झकोला

सत की कमली तनपर लीजो अलख देव ध्यान मन की जो

ओहंग सोहंग की माला अपनी दिवस रैन सांसों में जपनी

सतगुरु साहिब हुए सहाई काल कष्ट की पीड मिटाई

सोहंग शब्द अमर पद पायो दुविधा दुरमति दूर भगायो

यम की चौकी तोड़ बगाई अमर लोक की सैर कराई

शिक्षा मंत्र गायत्री हरिनाम निश्चय आसन कर विश्राम

ओहंग गायत्री पढे प्रभाता फिर नहीं नर चौरासी में आता

सोहंग गायत्री पढे मध्याना सो नर पावे पद निर्वाना

गायत्री सुमरत सांझ सवेरा सतगुरु मेटो भम्र अन्धेरा

सोहंग गायत्री मेरे मन मानी दास रविदास कहें ब्रह्मज्ञानी !!

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