Avigat Kabir
Wednesday, 25 June 2025
निर्गुण सर्गुण दोनो ते न्यारा
निर्गुण सर्गुण दोनो ते न्यारा ।
जानेगा कोई जाननहारा ।।
कहे कबीर जानेगा सोई ।
जापर दया गुरु की होई ।।
निर्गुण सर्गुण द्वन्द पसारा ।
दोनो पड़ गऐ काल की धारा ।।
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