कबीर सोहं सोहं जप मुए, वृथा जन्म गवाया।
सार शब्द मुक्ति का दाता, जाका भेद नहीं पाया।।
कबीर जो जन होए जौहरी, सो धन ले विलगाय।
सोहं सोहं जपि मुए, मिथ्या जन्म गंवाया।।
कबीर कोटि नाम संसार में, इनसे मुक्ति न होय।
आदि नाम (सारनाम) गुरु जाप है, बुझै बिरला कोय।।
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