सदाफल, बिना ज्ञान भक्ति करे, सो अन्धा जग जीव ।
भक्ति तत्त्व नहिं समझ है, क्यों कर पावे पीव ।।
सदाफल, ज्ञान बोध बिनु भक्ति नहीं, गिरें भ्रम्म पथ जाहिं ।
नयनन पट्टी बाँधि कर, चलें अन्धेरे माहिं ।।
सदाफल, ज्ञान जीवन परकाश है, कर्म भक्ति का रूप ।
ज्ञानहीन नर अन्ध है, परै महा भवकूप ।।
सदाफल, ज्ञान से मुक्ती होतु है, बन्ध विपर्य्य होय ।
दर्लभ पर यह ज्ञान है, सदगुरु से मिल सोय ।।
सदाफल, सर्व काम संसार का, ज्ञान कपीछे होय ।
बिना ज्ञान धोखा रहे, व्यर्थ कर्म दुख होय ।।
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