Wednesday, 23 October 2024

काया तेरी है नहीं, माया कहाँ से होय

कबीर, काया तेरी है नहीं, 
माया कहाँ से होय । 
भक्ति कर दिल पाक से, 
जीवन है दिन दोय ।। 

बिन उपदेश अचम्भ है, 
क्यों जिवत हैं प्राण। 
भक्ति बिना कहाँ ठौर है, 
ये नर नाहीं पाषाण ।

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