Avigat Kabir
Saturday, 26 October 2024
Shabd viveki paarkhi, So maathe ka mor
Kabir, Guru mere sab hi bade,
Apni apni thaur.
Shabd viveki paarkhi,
So maathe ka mor.
चक्षु दर्श नहिं कर सके, वह दृष्टा जग सोय
वाणी जाल अपार हैं, भूलि परे सब जीव
सदाफल, वाणी जाल अपार हैं, भूलि परे सब जीव ।
देव सदाफल शरण गहु, तब पाओ निज पीव ।।
गणितातीत प्रकाश
अणू एक प्रकाश में, सर्व ज्योति प्रकाश ।
तेज राशि युति क्या भनो, गणितातीत प्रकाश ।।
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