जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजनहार।।
दादू नाम कबीर की, जै कोई लेवे ओट।
उनको कबहू लागे नहीं, काल बज्र की चोट।।
दादू नाम कबीर का, सुनकर कांपे काल।
नाम भरोसे जो नर चले, होवे न बंका बाल।।
जो जो शरण कबीर के, तरगए अनन्त अपार।
दादू गुण कीता कहे, कहत न आवै पार।।
कबीर कर्ता आप है, दूजा नाहिं कोय।
दादू पूरन जगत को, भक्ति दृढ़ावत सोय।।
ठेका पूरन होय जब, सब कोई तजै शरीर।
दादू काल गँजे नहीं, जपै जो नाम कबीर।।
आदमी की आयु घटै, तब यम घेरे आय।
सुमिरन किया कबीर का, दादू लिया बचाय।।
मेटि दिया अपराध सब, आय मिले छनमाँह।
दादू संग ले चले, कबीर चरण की छांह।।
जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजनहार।।
सेवक देव निज चरण का, दादू अपना जान।
भृंगी सत्य कबीर ने, कीन्हा आप समान।।
दादू अन्तरगत सदा, छिन-छिन सुमिरन ध्यान।
वारु नाम कबीर पर, पल-पल मेरा प्रान।।
सुन-2 साखी कबीर की, काल नवावै भाथ।
धन्य-धन्य हो तिन लोक में, दादू जोड़े हाथ।।
केहरि नाम कबीर का, विषम काल गज राज।
दादू भजन प्रतापते, भागे सुनत आवाज।।
पल एक नाम कबीर का, दादू मनचित लाय।
हस्ती के अश्वार को, श्वान काल नहीं खाय।।
सुमरत नाम कबीर का, कटे काल की पीर।
दादू दिन दिन ऊँचे, परमानन्द सुख सीर।।
दादू नाम कबीर की, जो कोई लेवे ओट।
तिनको कबहुं ना लगई, काल बज्र की चोट।।
और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर।
दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर।।
अबही तेरी सब मिटै, जन्म मरन की पीर।
स्वांस उस्वांस सुमिरले, दादू नाम कबीर।।
कोई सर्गुन में रीझ रहा, कोई निर्गुण ठहराय।
दादू गति कबीर की, मोते कही न जाय।।
Wednesday, 30 June 2021
सो छल छिद्र करें कबीर
गरीब, सो छल छिद्र मैं करूं, अपने जन के काज।
हरणाकुश ज्यूं मार हूँ, नरसिंघ धरहूँ साज।।
Tuesday, 27 April 2021
Wednesday, 14 April 2021
अविगत सत्य कबीर हैं
गरीब, गैबी ग्यान विज्ञान सत्गुरू,
अचल दिगंबर थीर हैं।
भक्त हेत काया धर आऐ,
अविगत सत्य कबीर हैं।।
अचल दिगंबर थीर हैं।
भक्त हेत काया धर आऐ,
अविगत सत्य कबीर हैं।।
Wednesday, 7 April 2021
Saturday, 27 March 2021
Dharam, Daya aur ik taar se jeev utri hai paar
Kabir, Vishnu dharam Jaini daya Musalmaan yak taar. Ye teeno jab jaan le, Tab jeev utri hai paar.
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