Monday, 15 December 2025

माला है निज श्वास की

श्वास श्वास में नाम ले और बिरठा श्वास मत खोय,

ना जाने इस श्वास का आवन होय ना होय।

 

श्वास की कर सुमिरनी और कर अजपा का जाप,

परम तत्व हृदय धरो तो सोहम आपो आप।

 

सोहम पोया पवन में और बांधो सुरत सुमेर,

ब्रह्म घट हृदय धरो, इसी विधि माला फेर।

 

माला है निज श्वास की और फेरेगा कोई दास,

चौरासी भरमें है नहीं मिटे काल की फास।

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