Kabir Sahib
Friday, 11 October 2024
निर्गुण सर्गुण सब ठहरावे, ताके आगे भेद न पावे
कबीर, अजब नगर पुरुष यक रहेऊ,
ताकर भैद न काहू लहेऊ।
निर्गुण सर्गुण सब ठहरावे
ताके आगे भेद न पावे।।
सर्गुण निर्गुण दोनों से न्यारा,
जानेगा कोई जाननहारा।
कहे कबीर जानेगा सोई,
जापर दया गुरु की होई।।
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