Kabir Sahib
Sunday, 13 October 2024
झूठेहि झूठा मिलि रहा
कबीर, सांचहि कोई न माने, झूठहि के संग जाय ।
झूठेहि झूठा मिलि रहा, अहमक खेहा खाय ।।
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