Friday, 23 May 2025

शब्द विना सुरति आँधरी, कहो कहाँको जाय

शब्द हमारा आदि कासुनि मत जाहु सरख।
जो चाहो निज तत्व कोशब्दे लेहु परख।।9।।

शब्द विना सुरति आँधरीकहो कहाँको जाय।
द्वार न पावे शब्द काफिर फिर भटका खाय।।10।।

शब्द शब्द बहुअन्तरासार शब्द मथि लीजे।
कहँ कबीर जहँ सार शब्द नहींधिग जीवन सो जीजे।।11।।

सार शब्द पाये बिनाजीवहिं चैन न होय।
फन्द काल जेहि लखि पडेसार शब्द कहि सोय।।12।।

सतगुरु शब्द प्रमान हैकह्यो सो बारम्बार।
धर्मनिते सतगुरु कहैनहिं बिनु शब्द उबार।।13।।

धर्मनि सार भेद अव खोलौं। शब्दस्वरूपी घटघट बोलौं।।
शब्दहिं गहे सो पंथ चलावै। बिना शब्द नहिं मारग पावै।।

प्रगटे वचन चूरामनि अंशू। शब्द रूप सब जगत प्रशंसू।।
शब्दे पुरुष शब्द गुरुराई। विना शब्द नहिं जिवमुकताई।।
जेहिते मुक्त जीव हो भाई। मुकतामनि सो नाम कहाई।।

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