Kabir Sahib
Saturday, 26 October 2024
सेवा जप तप तीर्थ हैं, मुख पूजा वत कर्म
सदाफल, सेवा जप तप तीर्थ हैं, मुख पूजा वत कर्म ।
सद्गुरु शरण उवार है, गुरु सेवा सब धर्म ।।
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