Saturday, 26 October 2024

क्षर बावन परपंच है

सदाफल, पञ्च शब्द क्षर जानिये, क्षर अनहद झनकार ।
क्षर छाया ज्योतीय सभी, क्षार है सकल पसार ।।

क्षर पिण्ड ब्रह्माण्ड है, क्षर बुद्धि हंकार ।
क्षर इन्द्रिय जिव पाश है, क्षर इन अर्थ विकार ।।

क्षर बावन परपंच है, वर्ण अनेक प्रकार ।
स्वर व्यञ्जन दो भेद है, क्षर यह रूप अपार ।।

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