काल, द्वादस पंथ करूं मैं साजा, नाम तुम्हारा ले करूं अवाजा। द्वादस यम संसार पठैहो, नाम तुम्हारे पंथ चलैहो।। प्रथम दूत मम प्रगटे जाई, पीछे अंश तुम्हारा आई।। यही विधि जीवनको भ्रमाऊं, पुरुष नाम जीवन समझाऊं।। द्वादस पंथ नाम जो लैहे, सो हमरे मुख आन समै है।। कहा तुम्हारा जीव नहीं माने, हमारी ओर होय बाद बखानै।। मैं दृढ़ फंदा रची बनाई, जामें जीव रहे उरझाई।। देवल देव पाषान पूजाई, तीर्थ व्रत जप-तप मन लाई।। यज्ञ होम अरू नेम अचारा, और अनेक फंद में डारा।। जो ज्ञानी जाओ संसारा, जीव न मानै कहा तुम्हारा।।
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