Saturday, 30 May 2020

पांचो नाम

ज्ञान सागर अति उजागरनिर्विकार निरंजनं।
ब्रह्मज्ञानी महाध्यानीसत सुकृत दुःख भंजनं।1
मूल चक्र गणेश बासारक्त वर्ण जहां जानिये।
किलियं जाप कुलीन तज सबशब्द हमारा मानिये।2
स्वाद चक्र ब्रह्मादि बासाजहां सावित्राी ब्रह्मा रहैं।
3म जाप जपंत हंसाज्ञान जोग सतगुरु कहैं।3
नाभि कमल में विष्णु विशम्भरजहां लक्ष्मी संग बास है।
हरियं जाप जपन्त हंसाजानत बिरला दास है।4
हृदय कमल महादेव देवंसती पार्वती संग है।
सोहं जाप जपंत हंसाज्ञान जोग भल रंग है।5
कंठ कमल में बसै अविद्याज्ञान ध्यान बुद्धि नासही।
लील चक्र मध्य काल कर्मम्आवत दम कुं फांसही।6
त्रिकुटी कमल परम हंस पूर्णसतगुरु समरथ आप है।
मन पौना सम सिंध मेलोसुरति निरति का जाप है।7
सहंस कमल दल आप साहिबज्यूं फूलन मध्य गन्ध है।
पूर रह्या जगदीश जोगीसत् समरथ निर्बन्ध है।।8।।
सत सुकृत अविगत कबीर
3म् ओ3म् ओ3म् ओ3म्
किलियम् किलियम् किलियम् किलियम्
हरियम् हरियम् हरियम् हरियम्
श्रीयम् श्रीयम् श्रीयम् श्रीयम्
सोहं सोहं सोहं सोहं
सत्यम् सत्यम् सत्यम् सत्यम्
अभय पद गायत्री पठल पठन्ते
अर्थ धर्म काम मोक्ष पूर्ण फल लभन्ते।

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