Avigat Kabir
Tuesday, 16 December 2025
जो चाहे दीदारको, तो परख शब्दका रुप
कबीर, शब्द हमार हम शब्द के, शब्द ब्रह्मका कूप।
जो चाहे दीदारको, तो परख शब्दका रुप ।।
कबीर, शब्द हमार हम शब्द के, शब्दहिं लेहुं परख।
जो तूं चाहे मुक्ति को, अब मत जाहु सरक ।।
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