शब्द हमारा आदि का, सुनि मत जाहु सरख।
जो चाहो निज तत्व को, शब्दे लेहु परख।।9।।
शब्द विना सुरति आँधरी, कहो कहाँको जाय।
द्वार न पावे शब्द का, फिर फिर भटका खाय।।10।।
शब्द शब्द बहुअन्तरा, सार शब्द मथि लीजे।
कहँ कबीर जहँ सार शब्द नहीं, धिग जीवन सो जीजे।।11।।
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