Friday, 28 March 2025

केवल नाम कबीर है

बहुत गुरु संसार रहितघर कोइ न बतावै।
आपन स्वारथ लागिसीस पर भार चढावै।।
सार शब्द चीन्हे नहींबीचहिं परे भुलाय।
सत्त सुकृत चीन्हे बिनासब जग काल चबाय।।18।।
यह लीला निर्वानभेद कोइ बिरला जानै।
सब जग भरमें डारमूल कोइ बिरला माने।।
मूल नाम सत पुरुष कापुहुप द्वीपमें बास।
सतगुरु मिलैं तो पाइयेपूरन प्रेम बिलास।।19।।
नाम सनेही होयदूत जम निकट न आवै।
परमतत्त्व पहिचानिसत्त साहेब गुन गावै।।
अजर अमर विनसे नहींसुखसागरमें बास।
केवल नाम कबीर है गावे धनिधर्मदास।।20।।

कबीर शब्दावली (पृष्ठ नं. 220) से सहाभार

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