Monday 4 November 2024

ऐकादश खिड़की बनी

कबीर, नौ द्वारे जगत सब,

दसवां योगी ताड़।

ऐकादश खिड़की बनी,

शब्द महल सुख सार ।।


कबीर, दसवें द्वार से जीव जब जाई,

स्वर्ग लोक मे वासा पाई।

ग्याहरवें द्वार से जीव जब जाई,

अमर लोक मे वासा पाई।


Ekadash khidki bani

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