Kabir Sahib
Saturday, 26 October 2024
डूब कर भीतर देह में, परखो शब्द अटूट
सदाफल, डूब कर भीतर देह में, परखो शब्द अटूट ।
आनंद परिध्वनि सहज है, अनुभव तन्मय जूट ।।
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