Kabir Sahib
Tuesday, 29 October 2024
भय निमग्न निज रूप में, भूला साहेब रूप
सदाफल, भय निमग्न निज रूप में, भूला साहेब रूप ।
अभिमानी अज्ञान से, मर्मत विविध स्वरूप ।।।
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