Kabir Sahib
Wednesday, 3 November 2021
रूम रूम पिउ पिउ कहै
कबीर, प्रीत जो लागी घुल गई,
पीठ गई मन माहिं।
रूम रूम पिउ पिउ कहै,
मुख की श्रृद्धा नाहिं।।
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