Kabir Sahib
Wednesday, 30 June 2021
सो छल छिद्र करें कबीर
गरीब, सो छल छिद्र मैं करूं, अपने जन के काज।
हरणाकुश ज्यूं मार हूँ, नरसिंघ धरहूँ साज।।
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