Kabir Sahib
Friday, 29 May 2020
निराकार ही काल है
कबीर, तीन लोक जो काल सतावे, ताको सब जग ध्यान लगावे। निराकार जेहि वेद बखाने, सोई काल कोई मर्म न जाने।
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