Tuesday, 16 December 2025

Trikuti mahe jap Ram

Sthaan aur wahan pe Shabad

Sohang - Bhanwar Gufa
Rarankaar - Daswa Dwar
Onkaar - Trikuti
Nayan mahe Niranjan

मन ही मन मे जाप कर

श्वासा सोहं ऊपजे

जो चाहे दीदारको, तो परख शब्दका रुप

कबीर, शब्द हमार हम शब्द के, शब्द ब्रह्मका कूप।
जो चाहे दीदारको, तो परख शब्दका रुप ।।

कबीर, शब्द हमार हम शब्द के, शब्दहिं लेहुं परख।
जो तूं चाहे मुक्ति को, अब मत जाहु सरक ।।

क्षीर रुप हरि नाम है, नीर रुप व्यवहार

कबीर, क्षीर रुप हरि नाम है, नीर रुप व्यवहार।
हंस रुप कोई साधु है, तत्वका छाननहार ।।

Sumiran marag Sehaj ka